LAXMI JI KI ARTI
लक्मी जी की आरती
- दुर्गारूप निरंजनी , सुख-सम्पति दाता।
- जो कोई तुमको ध्यावत ,ऋद्धि -सिद्धि धन पाता।
- ॐ जय लक्मी ...... ......
- तुम पाताल -निवासिनी , तुम ही शुभ दाता।
- कर्म - प्रभाव प्रकाशिनि , भवनिधि की त्राता।
- ॐ जय लक्मी ...... ......
- जिस घर में तुम रहती , तहँ सब सद्गुण आता।
- सब संभव हो जाता , मन नहीं घबराता।
- ॐ जय लक्मी ...... ......
- तुम बिन यज्ञ न होते , वस्त्र न हो पाता।
- खान-पान का वैभव , सब तुमसे आता।
- ॐ जय लक्मी ...... ......
- शुभ -गुण -मंदिर - सुंदर , क्षीरोदधि जाता।
- रत्न चतुर्दश तुम बिन कोई नहीं पाता।
- ॐ जय लक्मी ...... ......
- महालक्मी जी की आरती , जो कोई नर गाता।
- उर आनंद समाता, पाप उतर जाता।
- ॐ जय लक्मी ...... ......
🙏 श्री लक्मी -वंदना 🙏
महालक्मी नमस्तुभ्यं नमस्तुभ्यं सुरेश्वरि।
हरिप्रिये नमस्तुभ्यं नमस्तुभ्यं दयानिधे।
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