आरती कुंज बिहारी की
🙏 आरती कुंज बिहारी की 🙏
आरती कुंज बिहारी की , श्री गिरधर कृष्ण मुरारी की।
आरती कुंज बिहारी की , श्री गिरधर कृष्ण मुरारी की।
🙏गले में बैजंती माला , बजावें मुरली मधुर बाला।
श्रवण में कुण्डल झलकाला , नन्द के आनंद नंदलाला।
गगन सम अंग कांति लाली , राधिका चमक रही आली।
रतन में ठाढ़े बनमाली ,
भ्रमर सी अलक , कस्तूरी तिलक,
चंद्र सी झलक , ललित छवि श्यामा प्यारी की ,
श्री गिरधर कृष्ण मुरारी की।
आरती कुंज बिहारी ......... 🙏
🙏 कनकमय मोर मुकुट बिलसै , देवता दर्शन को तरसै।
गगन सों सुमन राशि बरसै ,
बजै मीरचंग , मधुर मिरदंग, ग्वालिनि संग , अतुल रति गोप कुमारी की।
श्री गिरधर कृष्ण मुरारी की।
आरती कुंज बिहारी ......... 🙏
🙏 जहां ते प्रकट भई गंगा , सकल मन हरिणी श्री गंगा।
स्मरण ते होत मोह भंगा ,
बसी शिव सीस , जटा के बीच , हरै अध् कीच , चरण छवि श्री बनवारी की।
श्री गिरधर कृष्ण मुरारी की।
आरती कुंज बिहारी ......... 🙏
🙏 चमकती उज्जवल तट रेनू , बज रही वृन्दावन बेनू।
चहुँ दिशि गोपी ग्वाल धेनू ,
हँसत मृदु मंद, चांदनी चंद , कटत भाव फंद , टेर सून दिन दुखारी की।
श्री गिरधर कृष्ण मुरारी की।
आरती कुंज बिहारी ......... 🙏
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