TRUE STORIES

                                                            मेहनत का फल 

  

हेलो दोस्तों, 

                  आपका TRUE STORIES BLOGGER में आपका स्वागत है। 

     आज मैं आपको एक लड़की की सच्ची कहानी बताने जा रही हूँ।  NISHI और नेहा नाम की दो बहनें थी और उनका एक बड़ा भाई था जिसका नाम रोहन था।  वे अपने माता -पिता के साथ रहते थे,  पिता जी टैक्सी चलाते थे और माता जी गृहिणी थी जो बहुत ही सीधी साधी थी।  पिता की कमाई से घर चलाना मुश्किल होता था। 

   निशि गंभीर स्वाभाव की थी उसे अपने घर की गरीबी देखि नहीं जाती थी ,माँ बाप को अपने बेटे पर अधिक भरोसा था इसीलिए वह अपने बेटियों को हमेशा हेय दृष्टि से देखते थे। धीरे -धीरे दिन बीतते गए।  बीटा ज्यों १५-१६ वर्ष का हुआ उसने गलत संगति पकड़ ली और पढ़ाई लिखाई छोड़ आवारा दोस्तों के साथ रहने लगा। माता-पिता को बहुत दुःख हुआ क्योंकि अब घर की आर्थिक दशा और ख़राब हो गई थी।  जिस बेटे से उम्मीद की थी ,वह तो निकम्मा निकला।  अब बेटियों से तो उन्हें कोई उम्मीद ही नहीं थी बल्कि उनके विवाह के लिए दहेज़ की चिंता में रहने लगे।    


          
निशि समझदार थी , उसने पढाई के साथ -साथ घर चलाने के लिए सिलाई करना शुरू कर दिया। घर के खर्च में हाथ बटाने लगी।  लेकिन माँ को लगता था की एक दिन विवाह करना है तो इतना पैसा कहाँ से आएगा। वही निशि ने HIGHSCHOOL में ८६% से पास किया तो माता -पिता को कोई ख़ुशी नहीं हुई दिन गुजरे उसनर INTER भी 80 % से पास किया।  

निशि ने B.A और B.T.C में भी सरकारी स्कूल से पास किया 75%अंको के साथ।  अब निशि को सरकारी अध्यापक बनना था ,उसे दिखाना ता की बेटियाँ भी बेटो से आगे हो सकती हैं , बेटो जैसा या बेटों से भी अच्छा काम कर सकती हैं / उसने सिलाई के पैसे से ही कोचिंग की और TET की परीक्षा उत्तीर्ण की अच्छे नंबरों से।  
लेकिन माता -पिता को कोई खुशी नहीं होती थी फिर उसने और मेहनत से पढ़ना शरू किया और SUPER TET की परीक्षा उत्तीर्ण कर  ली और सरकारी अध्यापक की परीक्षा पास कर ली थी।  
निशि को अब JOINING LETTER का इंतज़ार था।  फिर वह दिन भी आ गया जब उसके हाथ में अध्यापक नौकरी का नियुक्ति पत्र था। 

वह खुशी से फूले नहीं समा रही थी ,उसने दौड़कर मंदिर में जाकर सबसे पहले भगवान शिव को यह बात बताई ,जहा वह बचपन से पूजा करने जाती थी , फिर माता-पिता को बताई ,आज उसके माता-पिता के आँखों में आंसू थे। 
जिस बेटी को वह कमतर समझते थे उस बेटी ने उनका सिर गर्व से ऊँचा कर दिया था।  पिता जी दौड़कर अपने टैक्सी चलाने वाले दोस्तों के पास मिठाई लेकर गए  और बोले कि बेटी की मेहनत सफल हो गई।  
आज मुझे मेरी बेटी ने टैक्सी ड्राइवर से एक सरकारी अध्यापक का पिता कहलाने का गौरव प्राप्त करवाया है। 
माता-पिता बार -बार निशि को गले लगाकर आशीर्वाद दे रहे थे और तारीफ कर रहे थे और बेटे को डाँट रहे थे। 
उसके बाद निशि की शादी बहुत ही अच्छे घर  हो गई और वो ख़ुशी ख़ुशी रहने लगी। 

आज की कहानी बस इतनी ही ऐसे ही कहानिया सुनने के लिए COMMENT करे। 
ऐसे ही  सच्ची कहानियो के साथ मैं आपके साथ जुडी रहूंगी।  अगर आपके पास भी ऐसी कहानिया हो तो COMMENT करे। 


धन्यवाद 

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