आरती श्री हनुमान जी की
🙏 आरती श्री हनुमान जी की 🙏
आरती की जय हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।
जाके बल से गिरिवर कापै। रोग- दोष जेक निकट न आवे।।
अंजनी पुत्र महाबलदाई। संतन के प्रभु सदा सहाई।
दे बीरा रघुनाथ पठाये। लंका जारि सिया सुधि लाये।।
लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाइ।।
लंका जारि असुर संहारे। सियाराम जी के कांज सँवारे।।
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे। आनि संजीवन प्राण उबारे।।
पैठि पाताल तोरि जम - कारे। अहिरावन के भुजा उखारे।।
बायें भुजा असुर दल मारे। दाहिने भुजा संतजन तारे।।
सुर नर मुनि आरती उतारें। जय जय जय हनुमान उचारे।।
कंचन थाल कपूर लौ छाई। आरति करत अंजना माई।।
जो हनुमान जी की आरती गावै। बसि बैकुंठ परमपद पावै।
आरती की जय हनुमान लला की। दुष्टदलन रघुनाथ कला की।
🙏🙏 जय बजरंगबली की 🙏🙏
Comments
Post a Comment