JAISI DRISHTI VAISHI SRISHTI

                                                                     जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि  

                                       

  

      एक बार  अमीर व्यक्ति था उसका नाम राजा था। उसका एक मित्र था जिसका नाम वैभव था।  वह एक व्यापारी था।  जो चन्दन की लकड़ियों का व्यापार करता था।  

एक बार वैभव अपने दोस्त राजा से मिलने उसके घर गया।  वैभव को घर पर आया देख राजा के मन में ख्याल आया की कुछ ऐसा किया जाए कि उसकी सारी संपत्ति मेरी हो जाए।  वैभव जब तक उसके पास रहा वह यही सोचता रहा कि किस प्रकार इसकी संपत्ति हड़प ली जाए ,कुछ देर बाद वैभव चला गया।  उसके जाने के बाद राजा को बड़ा दुःख हुआ कि वः अपने दोस्त के बारे में ऐसा कैसे सोच सकता है , आज मेरे मन में ऐसा कलुषित विचार कैसे आया।  वह बड़ा दुखी हुआ ,उसने अपने गुरुजी से यह बात बताई। 

                                                                


गुरु जी ने कहा मुझे कुछ समय दो मैं तुम्हारी बात का उत्तर दूंगा।  गुरु जी ने किसी तरह वैभव का पता लगाकर उसे अपने पास बुलवाया और उसे अपना शिष्य बना लिया , धीरे-धीरे वैभव को जब गुरु जी पर विश्वास हो गया।  तब उसने गुरु जी को बताया की उसका व्यापार अच्छा नहीं चल रहा है , चन्दन की लकड़ियाँ  खराब हो गई है माल बिक नहीं रहा है उसका पैसा ब्लॉक हो गया है।  

गुरु जी ने पूछा तो तुम क्या चाहते हो हानि से बचने के लिए। वैभव बोला अगर मेरा दोस्त राजा मर जाए तो उसकी अंतिम संस्कार में मेरी चन्दन की लकड़ियाँ बिक जाएंगी और मुझे लाभ होगा।  गुरु जी बोले यदि मैं राजा से हवन करवाऊं और रोज तुम्हारी लकडिया खरीदी करूँ तो , वैभव खुश हो गया। 

राजा को  गुरु जी  ने कहा कि तुम बुरे विचारो के नाश के लिए चन्दन की लकड़ियों से रोज हवन करो। राजा ने अपने दोस्त से रोज चन्दन की लड़किया खरीदनी शुरू क्र दी।  अब वैभव फिर अपने दोस्त राजा से मिलने गया।  अबकी बार राजा ने सोचा कि क्यों न अपने दोस्त को कुछ उपहार दिया जाय। यह मेरा प्रिय मित्र है।  

राजा ने फिर अपने गुरु जी के पास जाकर अपने मन की बात बताई ,और बोला कि अब मेरे मन में अच्छे भाव आए।  तब गुरूजी हंस कर बोले बेटा , मैं तुम्हारे दोनों प्रश्नो का उत्तर देता हूँ 

पहली बार तुम्हारा दोस्त तुम्हारी मृत्यु की कामना कर रहा था इसलिए उसे देखकर तुम्हारे मन में नकारात्मक विचार आए। जबकि दूसरी बार वह तुम्हारी लम्बी उम्र की प्रार्थना कर रहा था , इसीलिए तुम्हारे मन में भी उसके लिए सकारात्मक आए। 

गुरूजी की बात सुनकर राजा और वैभव दोनों के आँखों से आंसू निकलने लगे। और फिर दोनों दोस्तों ने वादा किया की आज के हम कभी भी एक दूसरे के प्रति गलत बात नहीं सोचेंगे।  और दोनों ने एक दूसरे को गले लगा लिया। 


                                        

निष्कर्ष - 

              दोस्तों इस कहानी से हमे ये समझ में आता है की किसी के लिए भी हमे अपने मन में बुरी चीजे नहीं सोचनी चाहिए क्योंकि यदि हम सामने वाले के बारे में जैसा सोचेंगे वैसा ही मेरे साथ भी होगा। 

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